samagrothan
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नहीं स्वर्ण सा दमक रहा मैं
नहीं सूर्य सा चमक रहा मैं,
बहुत बड़ा विज्ञान नहीं हूं,
कुछ अनुभव का हूं बस संचय,
क्या दूं मैं अपना परिचय?
संघर्षों की जीवित मशाल हूं,
शत्रु हेतु मैं स्वयं काल हूं,
नहीं चाहता पर मैं उलझना,
संकट चाहे आवें अतिशय,
क्या दूं मैं अपना परिचय?
Sक अलमस्त फकीर मान लो
नानक और कबीर मान लो,
कुछ न होकर भी सब कुछ है,
संतुष्टि का एक समुच्चय,
क्या दूं मैं अपना परिचय?
कवि भी नहीं विद्वान नहीं हूं,
शाप नहीं वरदान नहीं हूं,
बस अपनों के लिए दुआएं,
औरों को लगता हूं विस्मय,
क्या दूं मैं अपना परिचय?
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